TSCT द्वारा शिक्षामित्र परिवार को पक्की छत का सहारा

 


TSCT द्वारा एक ज़रूरतमंद परिवार को पक्की छत – शिक्षकों की मदद से बदल रही है एक ज़िंदगी

TSCT (Teachers Social Contribution Team) ने अपने चार साल के सफर में अनेक जरूरतमंद परिवारों की मदद की है, लेकिन इस बार की पहल विशेष है। इस बार सहयोग एक ऐसे परिवार के लिए किया जा रहा है जो आज भी छप्पर के नीचे जिंदगी बिता रहा है। यह परिवार आजमगढ़ जिले के पवई ब्लॉक के मझरिया गाँव में रहने वाले स्वर्गीय जोगेंद्र राजभर का है, जो शिक्षामित्र के पद पर कार्यरत थे। उनके निधन के बाद परिवार बेहद कठिन परिस्थितियों में जीवन बिता रहा है।

इस कठिन समय में TSCT ने आगे बढ़कर यह निर्णय लिया है कि इस परिवार को कम से कम एक पक्की छत प्रदान की जाए, जिससे वे सुरक्षित और सम्मानजनक जीवन जी सकें। इसके अलावा, TSCT की ओर से इस परिवार की रोजमर्रा की आवश्यकताओं के लिए कुछ आर्थिक सहायता भी दी जाएगी, ताकि उनके जीवन यापन में कुछ सहूलियत आ सके।

TSCT द्वारा की जा रही इस मदद में हर शिक्षक साथी की भागीदारी आवश्यक है। आज जब शिक्षामित्र साथी TSCT के हर कार्य में कंधे से कंधा मिलाकर साथ दे रहे हैं, तो यह हम सभी की जिम्मेदारी बनती है कि उनके किसी जरूरतमंद परिवार के लिए भी हम सब मिलकर कुछ करें। यह सहयोग सिर्फ आर्थिक नहीं, बल्कि मानवीय संवेदना और सेवा भाव का प्रतीक है।

आप कल्पना कीजिए कि सिर्फ 300-310 रुपए का छोटा सा सहयोग किसी के जीवन में कितनी बड़ी राहत बन सकता है। यह सिर्फ दान नहीं, बल्कि एक पुण्य कार्य है। आप जब किसी को छत देते हैं, तो सिर्फ ईंट-पत्थर नहीं, बल्कि सुरक्षा, आत्मसम्मान और आत्मविश्वास भी देते हैं। एक शिक्षक होने के नाते जब आप किसी दूसरे शिक्षक के परिवार को संबल देते हैं, तो यह शिक्षा जगत की एकजुटता और मानवीयता का जीता-जागता उदाहरण बन जाता है।

TSCT का उद्देश्य केवल भवन बनवाना नहीं है, बल्कि ऐसे परिवारों की जिंदगी में स्थायित्व और सम्मान वापस लाना है। एक शिक्षामित्र जो वर्षों तक शिक्षा के क्षेत्र में सेवा देता रहा, उसके परिवार को सम्मानजनक जीवन देने का प्रयास हम सबकी साझा जिम्मेदारी है। यह प्रयास दिखाता है कि शिक्षक समाज केवल कक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि समाज के हर वर्ग के लिए सच्ची सेवा भावना रखता है।

TSCT की इस पहल में सभी शिक्षक साथियों से अनुरोध है कि वे आगे आएं और इस पुण्य कार्य में सहभागी बनें। यह एक ऐसा अवसर है जिसमें हम अपने सहयोग से किसी की जिंदगी संवार सकते हैं। 300 रुपए का यह योगदान न केवल एक पक्की छत बनेगा, बल्कि यह उन बच्चों के भविष्य की नींव भी मजबूत करेगा जो उस घर में रहेंगे।

इस सहयोग के माध्यम से TSCT यह भी दिखा रहा है कि शिक्षक समाज के भीतर भी जब कोई संकट में होता है, तो हम सब एक परिवार की तरह एकजुट होते हैं। शिक्षकों की यह एकता और सेवा भावना ही TSCT की सबसे बड़ी ताकत है। TSCT केवल एक संगठन नहीं, बल्कि वह भावना है जो शिक्षक के भीतर छिपे सेवा भाव को समाज के सामने लाती है।

इस पूरी व्यवस्था को पारदर्शिता के साथ संचालित किया जा रहा है। जितना भी सहयोग एकत्र किया जाएगा, उसका पूरा विवरण TSCT द्वारा सार्वजनिक किया जाएगा। घर निर्माण की प्रक्रिया, खर्च, और हर गतिविधि की जानकारी सोशल मीडिया और ग्रुपों के माध्यम से साझा की जाएगी, ताकि सभी को यह विश्वास रहे कि उनका योगदान सही दिशा में जा रहा है।

इस नेक कार्य में भाग लेने से न केवल आत्मसंतोष मिलता है, बल्कि समाज में सकारात्मक ऊर्जा और भाईचारे का वातावरण भी बनता है। जो लोग आर्थिक रूप से बहुत बड़ा योगदान नहीं दे सकते, वे भी 300 रुपए जैसे छोटे सहयोग से इस अभियान में शामिल होकर बहुत बड़ा असर डाल सकते हैं।

यह पहल केवल आजमगढ़ के एक गांव तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे प्रदेश और देश के शिक्षक समाज के लिए एक प्रेरणा बन सकती है। जब एक शिक्षक समुदाय किसी साथी के परिवार के लिए इस तरह खड़ा होता है, तो समाज में उसकी प्रतिष्ठा और आत्मबल दोनों ही बढ़ते हैं।

TSCT की यह कोशिश बताती है कि हम केवल पढ़ाई नहीं करवाते, हम समाज की रीढ़ हैं। हम जरूरतमंदों का सहारा हैं और हम वे लोग हैं जो अपने कर्म और संवेदना से बदलाव ला सकते हैं। जब हम सब मिलकर किसी को छत देंगे, तो वह केवल उसका घर नहीं होगा, बल्कि पूरे शिक्षक समाज का गर्व और आत्मसम्मान भी उसमें समाहित होगा।

आइए, हम सब मिलकर इस नेक कार्य को सफल बनाएं। TSCT की इस ऐतिहासिक पहल का हिस्सा बनकर हम न केवल एक परिवार को राहत देंगे, बल्कि एक नई परंपरा की नींव भी रखेंगे, जिसमें शिक्षक केवल ज्ञान का वाहक नहीं, बल्कि समाज सेवा का भी प्रतीक होगा।

आपका छोटा सा योगदान, किसी के जीवन का सबसे बड़ा सहारा बन सकता है।

TSCT – जहाँ शिक्षक समाज बनाता है एक बेहतर कल।

अब आपकी बारी है – चलिए मिलकर किसी को पक्की छत दें।


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